‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

पसीना बहाना चाहिये


दुनिया में दुनियादारी चलानी है, सभी रिस्तेदारी निभानी है,
दुनिया का आनंद जो लेनी है, तो पैसा कमाना चाहिये ।

सीर ऊचा करके जीना है, अपने में अपनो को जीना है,
अपने दुखों को सीना है, तो पैसा कमाना चाहिये ।

किसी से प्रेम करना है, किसी का दुख हरना है,
किसी को खुश करना है, तो पैसा कमाना चाहिये ।

तिर्थाटन  करना है, पर्यटन करना है,
दान करना है, तो पैसा कमाना चाहिये।

मन मे न रहे कोई बोझ, कैसे कमाना है तू सोच,
कमाई हो सफेद तो पसीना बहाना चाहिये ।  

..........रमेश........

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