‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

यह तो भारत माता है



जगमग करती धरती हमारी,
यह अखिल विश्व से न्यारा है।
उत्तर में हिमालय का किरीट,
दक्षिण में रत्नाकर ने चरण पखारा है।

जहां के नदी नाला शिला पत्थर,
सब में देवी देवता हमारा है ।
यहां जंगल झांड़ी पशु पक्षी,
सबने हमारा जीवन सवारा है ।

क्रिस्मस होली ईद दिवाली
सभी त्यौहार हमारा है ।
यहां के रिति रिवाज पर्व सभी,
हमारे जीवन का सहारा है ।

जहां ईश्वर अल्ला गाड सभी ने,
हमारे जीवन को संवारा है ।
यहां हिन्दु मुसलिम सिक्ख ईसाई,
इन सब में भाईचारा है ।

भांति भांति के प्रांत यहां भांति भांति के लोग,
भांति भांति के सुमन से बगिया को संवारा है ।
यह केवल जमीन का टुकड़ा कहां है,
यह तो भारत माता है ऐसा स्वर्ग कहां है ।
................‘‘रमेश‘‘........................

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