गुरू गुरूता गंभीर है, गुरू सा कौन महान ।
सद्गुरू के हर बात को, माने मंत्र समान ।
लगते अब गुरूपूर्णिमा, बिते दिनों की बात ।
मना रहे शिक्षक दिवस, फैशन किये जमात ।
शिक्षक से जब राष्ट्रपति, बन बैठे इस देश ।
तब से यह शिक्षक दिवस, मना रहा है देश ।
कैसे यह शिक्षक दिवस, यह नेताओं का खेल ।
किस शिक्षक के नाम पर, शिक्षक दिवस सुमेल ।।
शिक्षक अब ना गुरू यहां, वह तो चाकर मात्र ।
उदर पूर्ति के फेर वह, पढ़ा रहा है छात्र ।
‘बाल देवो भव‘ है लिखा, विद्यालय के द्वार ।
शिक्षक नूतन नीति के, होने लगे शिकार ।
शिक्षक छात्र न डाटिये, छात्र डाटना पाप ।
सुविधाभोगी छात्र हैं, सुविधादाता आप ।।
सद्गुरू के हर बात को, माने मंत्र समान ।
लगते अब गुरूपूर्णिमा, बिते दिनों की बात ।
मना रहे शिक्षक दिवस, फैशन किये जमात ।
शिक्षक से जब राष्ट्रपति, बन बैठे इस देश ।
तब से यह शिक्षक दिवस, मना रहा है देश ।
कैसे यह शिक्षक दिवस, यह नेताओं का खेल ।
किस शिक्षक के नाम पर, शिक्षक दिवस सुमेल ।।
शिक्षक अब ना गुरू यहां, वह तो चाकर मात्र ।
उदर पूर्ति के फेर वह, पढ़ा रहा है छात्र ।
‘बाल देवो भव‘ है लिखा, विद्यालय के द्वार ।
शिक्षक नूतन नीति के, होने लगे शिकार ।
शिक्षक छात्र न डाटिये, छात्र डाटना पाप ।
सुविधाभोगी छात्र हैं, सुविधादाता आप ।।
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