‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कर दो अर्पण

शहिदों का बलिदान पुकारता
क्यों रो रही है भारत माता ।

उठो वीर जवान बेटो,
भारत माता का क्लेश मेटो ।

क्यों सो रहे हो पैर पसारे
जब छलनी सीने है हमारे ।

तब कफन बांध आये हम समर,
आज तुम भी अब कस लो कमर ।

तब दुश्मन थे अंग्रेज अकेले
आज दुश्मनों के लगे है मेले ।

सीमा के अंदर भी सीमा के बाहर भी,
देष की अखण्ड़ता तोड़ना चाहते है सभी ।

कोई नक्सली बन नाक में दम कर रखा है,
कोई आतंकवादी बन आतंक मचा रखा है ।

चीन की दादागीरी पाक के नापाक इरादे,
कुंभकरणी निद्रा में है संसद के शहजादे ।

अब कहां वक्त है तुम्हारे सोने का,
नाजुक वक्त है इसे नही खोने का ।

ये जमी है तुम्हारी ये चमन हैं तुम्हारे,
तुमही हो माली तुमही हो रखवारे ।

श्वास प्रश्वास कर दो तुम समर्पण,
तन मन सब मां को कर दो अर्पण ।


..............‘‘रमेश‘‘............

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