‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

दोहावली

दोहे
ठहर न मन इस ठांव में, जाना दूसरे ठांव ।
ठाठ-बाट मिटते जहाँ, मिलते शीतल छांव ।।

तुम होगे हंसा गगन, काया होगी ठाट ।
मनुवा तुम तो हो पथिक , जीवन तेरा बाट ।

कर्मो की मुद्रा यहां, पाप पुण्य का  हाट ।।
 ले जायेगा साथ क्या, झोली भर ले छाट ।।

ले जाते उपहार हैं, कुछ ना कुछ उस धाम ।
कर्मों की ही पोटली, आते केवल काम ।।

दुख रजनी में है छुपा, सुख का सूर्य प्रकाश ।
कष्टों का पल काट ले, लिये भोर की आस ।।

हर प्राणी मेंं प्राण है , जैसे तेरे देह ।
निज सुख दुख,सम मानकर करें सभी से नेह ।।

-रमेश चौहान

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