‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

लोकतंत्र करे अपील (छंदमाला)

दोहा
बड़े जोर से बज रहे, सुनो चुनावी ढोल ।
साम दाम सब भेद से, झुपा रहे निज पोल ।।

सोरठा
लोकतंत्र पर्व एक, सभी मनाओं पर्व यह ।
बने देश अब नेक,, करो जतन मिलकर सभी ।।

ललित
गंभीर होत चोट वोट का, अपनी शक्ति दिखाओं ।
जो करता हो काज देश हित, उनको तुम जीताओं ।।
लोभ स्वार्थ को तज कर मतदाता, अपना देश बनाओ।
हर हाथों में काम दिलावे, नेता ऐसा अजमाओ ।।

गीतिका
देश के वोटर सुनो अब, इस चुनावी शोर को ।
वोट करने के समय तुम, याद रखना भोर को ।।
राजनेता भ्रष्ट हों जो, ढोल उनका बंद हो ।
लोभ चाहे जितना दें, शक्ति अब ना मंद हो ।।

कुणडलियाँ
मतदाता इस देश के, सुन लीजिये पुकार ।
रीढ़ बनो तुम देश का, करने को उपकार ।।
करने को उपकार, देश हित नव पथ गढ़ने ।
छोड़ अभी निज काम, बढ़ाओ पग को बढ़ने ।।
सुन लो कहे ‘रमेश’, हमारी धरती माता ।
देश हमारा स्वर्ग, देवता है मतदाता ।।

-रमेश चौहान

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