दीप ऐसे हम जलायें, जो सभी तम को हरे ।
पाप सारे दूर करके, पुण्य केवल मन भरे ।।
वक्ष उर निर्मल करे जो, सद्विचारी ही गढ़े ।
लीन कर मन ध्येय पथ पर, नित्य नव यश शिश मढ़े ।
कीजिये कुछ काज ऐसा, देश का अभिमान हो ।
अश्रु ना छलके किसी का, आज नव अभियान हो ।
सीख दीपक से सिखें हम, दर्द दुख को मेटना ।
मन पुनित आनंद भर कर, निज बुराई फ्रेकना ।।
शुभ विचारी लोग होंवे, मानवी गुण से भरे ।
भद्र कहावें सभी जन, मान महिला का करे ।
काम सबके हाथ में हो, भाग्य का उपकार हो ।
मद रहे ना मन किसी के, एकता संस्कार हो ।।
नाम होवे देश का अब, दश्षप्रेमी लोग हों ।
पाप सारे दूर करके, पुण्य केवल मन भरे ।।
वक्ष उर निर्मल करे जो, सद्विचारी ही गढ़े ।
लीन कर मन ध्येय पथ पर, नित्य नव यश शिश मढ़े ।
कीजिये कुछ काज ऐसा, देश का अभिमान हो ।
अश्रु ना छलके किसी का, आज नव अभियान हो ।
सीख दीपक से सिखें हम, दर्द दुख को मेटना ।
मन पुनित आनंद भर कर, निज बुराई फ्रेकना ।।
शुभ विचारी लोग होंवे, मानवी गुण से भरे ।
भद्र कहावें सभी जन, मान महिला का करे ।
काम सबके हाथ में हो, भाग्य का उपकार हो ।
मद रहे ना मन किसी के, एकता संस्कार हो ।।
नाम होवे देश का अब, दश्षप्रेमी लोग हों ।
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