मेरा अपना गांव, विश्व से न्यारा न्यारा ।
प्रेम मगन सब लोग, लगे हैं प्यारा प्यारा ।।
काका बाबा होय, गांव के बुजुर्ग सारे ।
हर सुख दुख में साथ, सखा बन काम सवारे ।।
अमराई के छांव, गांव के छोरा छोरी ।
खेले नाना खेल, करे सब जोरा जोरी ।।
ग्वाला छेड़े वेणु, धेनु धुन सुन रंभाती ।
मुख पर लेकर घास, उठा शिश स्नेह दिखाती ।।
मोहे पनघट नाद, सखी मिल करे ठिठोली ।
गारी देवे सास, करे बालम बरजोरी ।।
चारी चुगली खास, कथा सा सुने सुनावे ।
सभी शोर संदेश, यही से ही बगरावे ।।
गिल्ली डंडा खेल, गली में खेले बच्चे ।
करते झगड़े मेल, सभी है मन के सच्चे ।।
बस्ता थाली हाथ, चले हैं खाने पढ़ने ।
सभी बाल गोपाल, धरे पग जीवन गढ़ने ।।
फसल पके हैं खेत, मोर सा किसान नाचे ।
राहत का ले सांस, कर्मफल अपना जांचे ।।
भरा भरा खलिहान, गांव में लक्ष्मी सोहे ।
खुशी से दमके देह, देव को मानव
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