‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

सरस्वती वंदना (गीतिका)

हे भवानी आदि माता, व्याप्त जग में तू सदा ।
श्‍वेत वर्णो से सुशोभित, शांत चित सब से जुदा ।।
हस्त वीणा शुभ्र माला, ज्ञान पुस्तक धारणी ।
ब्रह्म वेत्ता बुद्धि युक्ता, शारदे पद्मासनी ।।

हे दया की सिंधु माता, हे अभय वर दायनी ।
विश्‍व ढूंढे ज्ञान की लौ, देख काली यामनी ।।
ज्ञान दीपक मां जलाकर, अंधियारा अब हरें ।
हम अज्ञानी है पड़े दर, मां दया हम पर करें ।।

शारदे हे ज्ञान दात्री, मां शरण में लीजिये ।
हम अज्ञानों से भरे है, ज्ञान उर भर दीजिये ।।
धर्म मानवता धरे हम, नष्‍ट दोषो को करें ।
सत्य पथ पर चल सके हम, शक्ति इतना मन भरें ।

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