‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

होली गीत (छन्न पकैया छंद)

छन्न पकैया छन्न पकैया, मना रहें सब होरी ।
अति प्यारी सबको लागे है, राधा कृष्णा जोरी ।।1।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कहे श्याम रास किये ।
 ब्रज नार राधा संग नाचे,  अति पावन प्रेम लिये ।।2।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्यो कुछ रिति है खोटी ।
मदिरा भंग से तंग करते, पहचान लगे  मोटी ।।3।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कीचड़ मुख मलते वह ।
गाली भी क्यों देते ऐसे, मन मारे रहते सह ।।4।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, काम रहित प्रेम धरें ।
मानव हो मानव से साथी,  मानवीय प्रेम करें ।।5।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, आप को बधाईंया ।
माथ स्नेह गुलाल तिलक करूं, करत ताता थईया ।।6।।

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