‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

गीतिका छंद

प्रेम का मै हू पुजारी, प्रेम मेरा आन है ।
प्रेम का भूखा खुदा भी, प्रेम ही भगवान है ।।
वासना से तो परे यह, शुद्ध पावन गंग है ।
जीव में जीवन भरे यह, प्रेम ही तो प्राण है ।।

पुत्र करते प्रेम मां से, औ पिता पु़त्री सदा ।
नींव नातो का यही फिर, प्रेम क्यो अनुदान है ।।
बालपन से है मिले जो, प्रेम तो लाचार है ।
है युवा की क्रांति देखो, प्रेम आलीशान है ।।

गोद में तुम तो रहे जब से, मां पिता कैसे गढ़े ।
हो गये जो तुम बड़े फिर,  क्यों भला परशान है ।।
वो सुहाने देख सपने, हंै किये तुम को बड़े ।
पूर्ण हो कैसे भला जब, स्वप्न ही अभिमान है ।।

-रमेश चैहान

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