यारब जुदा ये तुझसे जमाना तो है नही
क्यों फिर भी कहते तेरा ठिकाना तो है नही
कण कण वजूद है तो तुम्हारा सभी कहे
माने भी ऐसा कोई सयाना तो है नही
सुख में भुला पुकारे तुझे दुख मे आदमी
नायाब उनका कोई बहाना तो है नही
भटके रहे जो माया के पीछे यहीं कहीं
कोई भला खुदा का दिवाना तो है नही
लगता मुझे तो खुद का इबादत ही ढोंग सा
अपना भी कोई खास निशाना तो है नही
क्यों फिर भी कहते तेरा ठिकाना तो है नही
कण कण वजूद है तो तुम्हारा सभी कहे
माने भी ऐसा कोई सयाना तो है नही
सुख में भुला पुकारे तुझे दुख मे आदमी
नायाब उनका कोई बहाना तो है नही
भटके रहे जो माया के पीछे यहीं कहीं
कोई भला खुदा का दिवाना तो है नही
लगता मुझे तो खुद का इबादत ही ढोंग सा
अपना भी कोई खास निशाना तो है नही
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