‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

गजल


तेरे होने का मतलब चूडियाॅं समझती हैं
आंख में चमक क्यों हैं पुतलियाॅं समझती है

ये बदन का इठलाना और मन का मिचलाना
गूंथे हुये गजरों की बालियाॅं समझती है

हो तुम्ही तो मेरे श्रृंगार की वजह सारे
इस वजूदगी को हर इंद्रियाॅं  समझती है

श्वास तेरे मेरे जो एक हो गये उस पल
एहसास को तो ये झपकियाॅं समझती है

साथ देना तुम पूरे उम्र भर वफादारी से
बेवफाई को कातिल  सिसकियाॅं  समझती है
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-रमेश कुमार चाैहान

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