‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

फैंशन के चक्कर में (घनाक्षरी छंद)

फैंशन के चक्कर में, पश्चिम के टक्कर में
भूले निज संस्कारों को, हिन्द नर नारियां ।
अश्लील गीत गान को, नंगाय परिधान को
शर्म हया के देश में, मिलती क्यों तालियां ।
भाई कहके नंगों को, दादा कह लफंगो को,
रक्त जनित संबंधो को, दे रहे क्यों गालियां ।
दुआ-सलाम छोड़ के, राम से नाता तोड़ के
हाय हैलो बोल-बोल, हिलाते हथेलियां ।

हया रखे ताक पर, तंग वस्त्र धार कर,
लोकलाज कुरेदतीं, आज की लड़कियां ।
नुपूर के छन-छन, कंगना के खन-खन,
नवयुवतियों को देती, मानो कोई गालियां ।
साडि़यां षरमाती है, घाघरा घबराती है,
सामने हो जब कोई, आज की लड़कियां ।
छोड़ सखी सहेली को, नारीत्व के पहेली को
लड़को को मित्र बनाती, आज की लड़कियां ।

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