‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कुछ दोहे

एक दीप तुम द्वार पर, रख आये हो आज ।
अंतस अंधेरा भरा, समझ न आया काज ।।

आज खुशी का पर्व है, मेटो मन संताप ।
अगर खुशी दे ना सको, देते क्यों परिताप ।।

पग पग पीडि़त लोग हैं, निर्धन अरू धनवान ।
पीड़ा मन की छोभ है, मानव का परिधान ।।

काम सीख देना सहज, करना क्या आसान ।
लोग सभी हैं जानते, धरे नही हैं ध्यान ।।

मन के हारे हार है, मन से तू मत हार ।
काया मन की दास है, करे नही प्रतिकार ।।

बात ज्ञान की है बड़ी, कैसे दे अंजाम ।
काया अति सुकुमार है, कौन करेगा काम ।।

नुख्श खोजते क्यों भला, ज्ञानी पंडित लोग ।
अपनी गलती भूल कर, जग में करते खोज ।।

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