‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

चिंतन (दोहे)

मानव मानव एक हैं, कहे धर्म हरएक।
भिन्न-भिन्न पथ है सही, पर मंजिल है एक ।

कर्म कर्म सतकर्म कर, कर्म रचे व्यवहार ।
पैसों से व्यवहार तो, मिले नही संसार ।।

बढ़े चलो निज राह पर, हिम्मत भरकर बाॅंह ।
तेज धूप को देख कर, ढूंढ़ों मत जी छाॅह ।।

यहां वहां देखें जहां, इक जैसे है लोग ।
स्वार्थ लोभ अरू मोह का, लगा सभी को रोग ।

आप और मैं एक है, ना चाकर ना कंत ।
बहरा बनकर तू सुने, आॅंख मूंद मैं संत ।।


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