कांप रही धरती नही, कांप रहे इंसान ।
झटके खाकर भूकंप के, संकट में है प्राण ।।
कितने बेघर हैं हुये, कितने खोये जान ।
मृत आत्माओं को मिले, परम श्ाांति भगवान ।।
संकट के इस क्षण में, हम हैं उनके साथ ।
जो बिछुड़े परिवार से, जो हो गये अनाथ ।।
जो बिछुड़े परिवार से, जो हो गये अनाथ ।।
कंधे कंधे जोड़ कर, उठा रहे हैं भार ।
भारत या नेपाल हो, या पूरा संसार ।।
भारत या नेपाल हो, या पूरा संसार ।।
-रमेश्ा चौहान
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