‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

आज और कल (दोहे)

1     .नई पुरानी बात में, किसे कहे हम श्रेष्ठ ।
        एक अंध विश्वास है, दूजा फैशन प्रेष्ठ ।।                                 प्रेष्ठ=परमप्रिय

2. तना खड़ा है मूल पर, लगे तना पर फूल ।
रम्य तना का फूल है, जमे मूल पर धूल ।।

3. पानी दे दो मूल को, तना को है कबूल ।
नीर तना पर सींचये, सूखे पेड़ समूल ।।

4. अनुभव कहते हैं किसे, बता सके है बाल ।
जोश होश छोड़ कर, बजा रहें हैं गाल ।।

5. क्रंदन ठाने भूत है, मतलब रखे न आज ।
चिंता भविष्य है करे, कैसे होगी काज ।।

6. कल तो कड़वी औषधी, मीठी विष है आज ।
आज और कल मेल कर, समझ सके ना राज ।।

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