‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

भूख (कुण्डलियां)

सही गलत का फैसला, कर ना पाये भूख ।
उदर भरे से काम है, चाहे मिले बदूख ।।
चाहे मिले बदूख, मौत तो भूख मिटाये ।
दुख दायी अति भूख, भूख तो सहा न जाये ।
रो रो कहे ‘रमेश‘ , दीनता की बात यही ।
सब दुख देना नाथ, न देना दुख भूख सही ।।

नाना प्रकार भूख के, होय सभी आक्रांत ।
कितने भूखे लोभ के, होय कभी ना शांत ।।
होय कभी ना शांत, होय जो तन का भूखा ।
उदर क्षुधा को लोग, मिटाये खा रूखा सूखा ।।
कैसे कहूं ‘रमेश‘, जगत को भूखा जाना ।
लोभ अौर व्यभिचार, हमारे लगते नाना ।।

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