सही गलत का फैसला, कर ना पाये भूख ।
उदर भरे से काम है, चाहे मिले बदूख ।।
चाहे मिले बदूख, मौत तो भूख मिटाये ।
दुख दायी अति भूख, भूख तो सहा न जाये ।
रो रो कहे ‘रमेश‘ , दीनता की बात यही ।
सब दुख देना नाथ, न देना दुख भूख सही ।।
नाना प्रकार भूख के, होय सभी आक्रांत ।
कितने भूखे लोभ के, होय कभी ना शांत ।।
होय कभी ना शांत, होय जो तन का भूखा ।
उदर क्षुधा को लोग, मिटाये खा रूखा सूखा ।।
कैसे कहूं ‘रमेश‘, जगत को भूखा जाना ।
लोभ अौर व्यभिचार, हमारे लगते नाना ।।
उदर भरे से काम है, चाहे मिले बदूख ।।
चाहे मिले बदूख, मौत तो भूख मिटाये ।
दुख दायी अति भूख, भूख तो सहा न जाये ।
रो रो कहे ‘रमेश‘ , दीनता की बात यही ।
सब दुख देना नाथ, न देना दुख भूख सही ।।
नाना प्रकार भूख के, होय सभी आक्रांत ।
कितने भूखे लोभ के, होय कभी ना शांत ।।
होय कभी ना शांत, होय जो तन का भूखा ।
उदर क्षुधा को लोग, मिटाये खा रूखा सूखा ।।
कैसे कहूं ‘रमेश‘, जगत को भूखा जाना ।
लोभ अौर व्यभिचार, हमारे लगते नाना ।।
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