‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

दिखें ना बिखरे-बिखरे (कुण्डलि)

बिखरे-बिखरे पुष्प चुन, बुनिये सुंदर हार ।
तिनका-तिनका बांध कर, गढि़ये इक उपहार ।।
गढि़ये इक उपहार, समेटे जो संदेशा ।
करें इसे स्वीकार, छोड़ कर सब अंदेशा ।
हम दोनों है पुष्प, प्यार धागा जो निखरे ।
रहें सदा हम साथ, दिखें ना बिखरे-बिखरे ।।

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