1.
चूड़ी मुझसे पूछती, जाऊं किसके हाथ ।
छोड़ सुहागन जा रही, अब तो मेरा साथ ।
2.
रखे अपेक्षा पुत्र से, निश्चित इक बाप ।
नेक राह पर पुत्र हो, देवे ना संताप ।।
3.
सच का पथ जग में कठिन, चले कौन उस राह ।
सच्चा झूठा कौन है, करे कौन परवाह ।।
4.
खड़े हुये हैं रेल में, लिये बेटवा बांह ।
झूला जैसे झूलते, बेटा करते वाह ।।
5.
बांटे से कम होत है, हृदय घनेरी पीर ।
ढाढस से रूक जात है, नयनन छलकत नीर ।।
6.
तुलीस कबीर कह गये, दोहों का वह मर्म ।
अपने निज सुख के लिये, करते रहिये कर्म ।।
7.
मानवता बेहोश है, नैतिकता भी सुप्त ।
भारतीय व्यवहार जोे, हो गये कहीं लुप्त ।।
8.
कहें कौन हैं आप से, दुनिया मे हो श्रेष्ठ ।
निज अंतर मन भी कभी, माना तुझे यथेष्ठ ।।
9.
चलते रहिये राह पर, करिये मत विश्राम ।
मंजिल जबतक ना मिले, करते रहिये काम ।।
10.
रंगे कुर्सी बैठ कर, कुर्सी के ही रंग ।
श्वेत हंस कौआ हुआ, देख रहे सब दंग ।।
चूड़ी मुझसे पूछती, जाऊं किसके हाथ ।
छोड़ सुहागन जा रही, अब तो मेरा साथ ।
2.
रखे अपेक्षा पुत्र से, निश्चित इक बाप ।
नेक राह पर पुत्र हो, देवे ना संताप ।।
3.
सच का पथ जग में कठिन, चले कौन उस राह ।
सच्चा झूठा कौन है, करे कौन परवाह ।।
4.
खड़े हुये हैं रेल में, लिये बेटवा बांह ।
झूला जैसे झूलते, बेटा करते वाह ।।
5.
बांटे से कम होत है, हृदय घनेरी पीर ।
ढाढस से रूक जात है, नयनन छलकत नीर ।।
6.
तुलीस कबीर कह गये, दोहों का वह मर्म ।
अपने निज सुख के लिये, करते रहिये कर्म ।।
7.
मानवता बेहोश है, नैतिकता भी सुप्त ।
भारतीय व्यवहार जोे, हो गये कहीं लुप्त ।।
8.
कहें कौन हैं आप से, दुनिया मे हो श्रेष्ठ ।
निज अंतर मन भी कभी, माना तुझे यथेष्ठ ।।
9.
चलते रहिये राह पर, करिये मत विश्राम ।
मंजिल जबतक ना मिले, करते रहिये काम ।।
10.
रंगे कुर्सी बैठ कर, कुर्सी के ही रंग ।
श्वेत हंस कौआ हुआ, देख रहे सब दंग ।।
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