‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

चरण पखारे शिष्य के (कुण्डलिया)

चरण पखारे शिष्य के, शाला में गुरू आज ।
शिष्य बने भगवान जब, गुरूजन के क्या काज ।।
गुरूजन के क्या काज, स्कूल में भोजन पकते ।
पढ़ना-लिखना छोड़, शिष्य तो दावत छकते ।।
कागज का सब खेल, देख लो मन को मारे ।
हुये शिष्य सब पास, चलो अब चरण पखारे ।।

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