काली-काली बरखा आई । हरी-हरी हरियाली लाई
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी । नम पुरवाही चले सुहानी
बितत बिते पतझड़ दुखदायी । पुष्प-पत्र पल्लव हर्षाई
वन उपवन अब लगे मुस्काने । खग-मृग मानव गाये गाने
इंद्रधनुश नभ पर बन आये । देख-देख बच्चे हर्षाये
रंग बै जा नी ह पी ना ला । बच्चे पढ़े थे पाठशाला
तडि़त जब लाल आॅंख दिखाये । बादल भी नगाड़ा बजाये
रण-भेरी को सब सुन-सुन कर । बैठ रहे हैं आॅंख मूंद कर
छप छप करते खेले बच्चे । जल बहाव में खाते गच्चे
गा कर इतना इतना पानी । खेल रहे घोर-घोर रानी
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी । नम पुरवाही चले सुहानी
बितत बिते पतझड़ दुखदायी । पुष्प-पत्र पल्लव हर्षाई
वन उपवन अब लगे मुस्काने । खग-मृग मानव गाये गाने
इंद्रधनुश नभ पर बन आये । देख-देख बच्चे हर्षाये
रंग बै जा नी ह पी ना ला । बच्चे पढ़े थे पाठशाला
तडि़त जब लाल आॅंख दिखाये । बादल भी नगाड़ा बजाये
रण-भेरी को सब सुन-सुन कर । बैठ रहे हैं आॅंख मूंद कर
छप छप करते खेले बच्चे । जल बहाव में खाते गच्चे
गा कर इतना इतना पानी । खेल रहे घोर-घोर रानी
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें