योग दिवस के राह से, खुला विश्व का द्वार ।
भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।।
गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय ।
अपने ही इस देश में, विरोध काहे होय ।।
अटल रहे निज धर्म में, दूजे का कर मान ।
जीवन शैली योग है, कर लें सब सम्मान ।।
जिसकी जैसी चाह हो, करले अपना काम ।
पर हो कौमी एकता, रखें जरूर सब ध्यान ।।
भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।।
गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय ।
अपने ही इस देश में, विरोध काहे होय ।।
अटल रहे निज धर्म में, दूजे का कर मान ।
जीवन शैली योग है, कर लें सब सम्मान ।।
जिसकी जैसी चाह हो, करले अपना काम ।
पर हो कौमी एकता, रखें जरूर सब ध्यान ।।
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