‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

बाजारवाद

फसे बाजारवाद में, देखो अपने लोग ।
लोभ पले इस राह में, बनकर उभरे रोग ।।

दो पौसे के माल को, बेचे रूपया एक ।
रीत यही व्यवसाय का, लगते सबको नेक ।

टोटा कर दो माल का, रखकर निज गोदाम ।
तब जाके तुम बेचना, खूब मिलेंगे दाम ।।

असल नकल के भेद को, जान सके ना कोय ।
तेरे सारे माल में, असल मिलावट होय ।।

टैक्स चुराने की कला, पहले जाके सीख ।
वरना इस व्यवसाय में, मांगेगा तू भीख ।।

Blog Archive

Popular Posts

Categories