‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कुछ दोहे

उनको थोड़ा दर्द हो, होती मुझको पीर ।
यूं ही मेरी अंखिया, छलका देती नीर ।।

मेरा मेरा सब कहे, किसका है संसार ।
छोड़ इसे पर लोग क्यों, जाये बेड़ापार ।।

करना धरना कुछ नहीं, केवल करते शोर ।
भज ले रे मन राम तू, कहते खुद को छोड़ ।।

रूप रंग जिसके नही, ना ही जिसके मोल ।
खास आम सब मांगते, पानी पानी बोल ।।

पानी से ही प्राण है, पानी से ही सृष्टि ।
पंचतत्व में एक है, खोल ज्ञान की दृष्टि ।।

शिक्षा की दुकान सजी, सीखो जो मन लाय ।
नैतिकता बस ना मिले, बाकी सब मिल जाय ।।

साथ चलो तुम वक्त के, वक्त छूट ना जाये ।
गुजर गया जो वक्त तो, वापस फिर ना आये ।।

Blog Archive

Popular Posts

Categories