‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

नारी नर एक समान

नारी तेरे कितनेे रूप, सभी रूप में तू अद्भूत ।
मां बहना पुत्री हुई, हुई पत्नि अवधूूत ।।
पिता बन कर लालन किये, पति बन कर पालन किये ।
हे पुरूष तुम संतान दे, नारी को नारी कियेे ।।
सृष्टि मेंं नर नारी का,सत्ता सदा समान है।
नर से नारी का और नारी से नर का सम्मान है ।।
पूूरक एक दूूसरेे के, बंधे एक दूसरे से ।
अस्‍ितत्व नही है, किसी तीसरे से ।।
एक महिमा मंडित हो, दूजा गाली खाये ।
जग का ऐसा विधान, विधाता को भी ना भाये ।।
-रमेेश चौहान

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