नारी तेरे कितनेे रूप, सभी रूप में तू अद्भूत ।
मां बहना पुत्री हुई, हुई पत्नि अवधूूत ।।
मां बहना पुत्री हुई, हुई पत्नि अवधूूत ।।
पिता बन कर लालन किये, पति बन कर पालन किये ।
हे पुरूष तुम संतान दे, नारी को नारी कियेे ।।
हे पुरूष तुम संतान दे, नारी को नारी कियेे ।।
सृष्टि मेंं नर नारी का,सत्ता सदा समान है।
नर से नारी का और नारी से नर का सम्मान है ।।
नर से नारी का और नारी से नर का सम्मान है ।।
पूूरक एक दूूसरेे के, बंधे एक दूसरे से ।
अस्ितत्व नही है, किसी तीसरे से ।।
अस्ितत्व नही है, किसी तीसरे से ।।
एक महिमा मंडित हो, दूजा गाली खाये ।
जग का ऐसा विधान, विधाता को भी ना भाये ।।
-रमेेश चौहान
जग का ऐसा विधान, विधाता को भी ना भाये ।।
-रमेेश चौहान
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