‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

झूला-गीत

बांधे अमुवा डार, लिये रेशम की डोरी ।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।

श्याम घटा के संग, झूम आये जब सावन ।
डाल डाल सब पात, लगे जब अति मनभावन ।।
अंग अंग प्रति अंग, यौैवना किये सजावन ।
सावन झूला डाल, सभी ओ मन की भोरी ।।

झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।

रिमझिम रिमझिम नीर, जभे सावन बरसाये
बूंद बूंद हर बूंद, देह पर अगन जगाये ।
हवा चले झकझोर, बदन से चुनर उड़ाये ।
एहसास कुछ आय, हुई हैं दिल की चोरी ।।

झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।

Blog Archive

Popular Posts

Categories