‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

अष्ट दोहे

1
रोटी में होेते नहीं, ढूंढे जो तुम स्वाद ।
होय स्वाद तो भूख में, दिखे नही अपवाद ।।

2
बातें तो हम हैं करें, करें कहां है काम ।
बैठे बैठे चाहते, जग में होवे नाम ।।

3
ज्ञानी हम सब आज है, अज्ञानी ना कोय ।
ज्ञान खजाना हाथ में, फिर भी काहे रोय ।।

4
चिडि़यां बुनती घोसला, तिनका तिनका जोर ।
दुर्बल हो काया भले, मन कोे रखे सजोर ।।

5
चिटी चढ़े दीवार पर, चाहे फिसलन होय ।
गिर गिर सम्हले है जरा, जानेे है हर कोय ।।

6
ढोती चिटियां काष्‍ठ को, चलती हैं जब संग ।
एक अकेला एक है, चाहे रहे मतंग ।।

7
बुनती हैं मधुमक्खियां, मिलकर छत्ता एक ।
बूंद-बूंद से घट भरा, छलके मधुरस देख ।।

8
जाने तुम हर बात को, पर माने ना एक ।
इंसा हो या दैत्य हो, अपने अंतस देख ।।

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