‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कवि बन रहे हजार

वाह वाह के फेर में, कवि बन रहे हजार । ऐसे कविवर पाय के, कविता है बीमार ।। केवल तुकबंदी दिखे, दिखे ना काव्य तत्व । नही शिल्प व विधान है, ना ही इनके सत्व ।। आत्म मुग्ध तो है सभी, पाकर झूठे मान । भले बुरे इस काव्य की, कौन करे पहचान ।। पाठक स्रोता तो सभी, करते केवल वाह । अभ्यासी जन को यहां, कौन बतावें राह ।। बतलाना चाहे अगर, कोई कभी कभार । बुरा मान वह रूष्ट हो, करते हैं प्रतिकार ।। -रमेश चौहान

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