‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मृत्यु का शोक क्यों ?

अटल नियम तो एक है, जो आये सो जाय ।
इसी नियम पर जीव तो, जीवन काया पाय ।।

नश्वर केवल देह है, जीव रहे भरमाय ।
देह जीव होते जुदा, हम तो समझ न पाय ।।

गीता के उस ज्ञान को, हम तो जाते भूल ।
अमर रहे आत्मा सदा, होते देह दुकूल ।।

देह देह को जानते, एक मात्र तो देह ।
जाने ना वह जीव को, जिससे करते नेह ।।

हम सब रोते मौत पर, कारण केवल एक ।
देह दिखे है आंख से, जीव दिखे ना नेक ।

प्रेम करें हैं देह से, कहते जिसको मोह ।
सह ना पाये देह तो, जब जब होय विछोह ।।

-रमेश चौहान

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