अटल नियम तो एक है, जो आये सो जाय ।
इसी नियम पर जीव तो, जीवन काया पाय ।।
नश्वर केवल देह है, जीव रहे भरमाय ।
देह जीव होते जुदा, हम तो समझ न पाय ।।
गीता के उस ज्ञान को, हम तो जाते भूल ।
अमर रहे आत्मा सदा, होते देह दुकूल ।।
देह देह को जानते, एक मात्र तो देह ।
जाने ना वह जीव को, जिससे करते नेह ।।
हम सब रोते मौत पर, कारण केवल एक ।
देह दिखे है आंख से, जीव दिखे ना नेक ।
प्रेम करें हैं देह से, कहते जिसको मोह ।
सह ना पाये देह तो, जब जब होय विछोह ।।
-रमेश चौहान
इसी नियम पर जीव तो, जीवन काया पाय ।।
नश्वर केवल देह है, जीव रहे भरमाय ।
देह जीव होते जुदा, हम तो समझ न पाय ।।
गीता के उस ज्ञान को, हम तो जाते भूल ।
अमर रहे आत्मा सदा, होते देह दुकूल ।।
देह देह को जानते, एक मात्र तो देह ।
जाने ना वह जीव को, जिससे करते नेह ।।
हम सब रोते मौत पर, कारण केवल एक ।
देह दिखे है आंख से, जीव दिखे ना नेक ।
प्रेम करें हैं देह से, कहते जिसको मोह ।
सह ना पाये देह तो, जब जब होय विछोह ।।
-रमेश चौहान
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