‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

हे प्रभु दयानिधि, दीन दयाला

हे प्रभु दयानिधि, दीन दयाला
हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला

सबुरी के बेर जुठे, आप भोग लगाये ।
विदुरानी के छिलके, आपको सुहाये ।
प्रेम के भूखे प्रभु, प्रेम मतवाला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला

केवट के सखा बने, छाती से लगाये ।
सुदामा के पांव धोये, नयन नीर छलकाये ।
दीनों के नाथ प्रभु, दीनन रखवाला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला

श्रद्धा के भोग गहो, यहां तो आके ।
मेरी भी टेर सुनो, मेरी बिगडी बनाके ।
महिमा तेरी निराली, तू भी तो निराला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला

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