पत्थर सा इंसान क्यों, पत्थर सा भगवान।
खूब तमाशा क्यों करे, धरती पर शेैतान ।।
धरती पर शैतान, खुदा खुद को क्यों माने ।
करते कत्लेआम, यहां पर छाती ताने ।।
रोये खूब ‘रमेश‘, देख कर ऐसा मंजर ।
पूछे एक सवाल, खुदा क्यों अब तक पत्थर ।।
खूब तमाशा क्यों करे, धरती पर शेैतान ।।
धरती पर शैतान, खुदा खुद को क्यों माने ।
करते कत्लेआम, यहां पर छाती ताने ।।
रोये खूब ‘रमेश‘, देख कर ऐसा मंजर ।
पूछे एक सवाल, खुदा क्यों अब तक पत्थर ।।
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