‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

पत्थर सा इंसान क्यों

पत्थर सा इंसान क्यों, पत्थर सा भगवान।
खूब तमाशा क्यों करे, धरती पर शेैतान ।।
धरती पर शैतान, खुदा खुद को क्यों माने ।
करते कत्लेआम, यहां पर छाती ताने ।।
रोये खूब ‘रमेश‘, देख कर ऐसा मंजर ।
पूछे एक सवाल, खुदा क्यों अब तक पत्थर ।।

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