वीर बहादुर तो कभी, होते नही अधीर
घाव लगे जब देह पर, सह जाते सब पीर ।
सह जाते सब पीर, देश की मिट्टी चुमकर ।
भर लेते सब घाव, देश की बातें गुणकर ।।
हर बाधा कर पार, शत्रु को करते चुर चुर।
करे प्राण उत्सर्ग, देश पर वीर बहादुर ।।
घाव लगे जब देह पर, सह जाते सब पीर ।
सह जाते सब पीर, देश की मिट्टी चुमकर ।
भर लेते सब घाव, देश की बातें गुणकर ।।
हर बाधा कर पार, शत्रु को करते चुर चुर।
करे प्राण उत्सर्ग, देश पर वीर बहादुर ।।
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