सैनिक सीमा पर खड़े, देखे अपना देश ।
भीतर भी दुश्मन अड़ा, धर भाई का वेष ।।
कोयल कागा साथ में, बैठे हैं इक डाल ।
काग शिकारी से मिला, कोयल है बेहाल ।।
पाले खतपतवार को, छोड़ फसल की मोह ।
खेत बचे ना जब यहां, तब करना तुम द्रोह ।।
बाजे है थोथा चना, घना बाजरा मौन ।
पुलिस चोर के साथ है, हमें बचावे कौन ।।
जाग रहे उल्लू यहां, उड़ उड़ कर हर डाल ।
इंसा सारे सोय हैं, सुध खोये बेहाल ।।
दुश्मन के रखवार है, लोकतंत्र का तंत्र ।
खुले आम ललकार के, घूमे शत्रु स्वतंत्र ।।
भीतर भी दुश्मन अड़ा, धर भाई का वेष ।।
कोयल कागा साथ में, बैठे हैं इक डाल ।
काग शिकारी से मिला, कोयल है बेहाल ।।
पाले खतपतवार को, छोड़ फसल की मोह ।
खेत बचे ना जब यहां, तब करना तुम द्रोह ।।
बाजे है थोथा चना, घना बाजरा मौन ।
पुलिस चोर के साथ है, हमें बचावे कौन ।।
जाग रहे उल्लू यहां, उड़ उड़ कर हर डाल ।
इंसा सारे सोय हैं, सुध खोये बेहाल ।।
दुश्मन के रखवार है, लोकतंत्र का तंत्र ।
खुले आम ललकार के, घूमे शत्रु स्वतंत्र ।।
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