भीमराव अम्बेड़कर, दिये अमर संदेश ।
भेद भाव को छोड़ कर, एक रहे यह देश ।।
उनकी आत्मा आज तो, पूछे एक सवाल ।
जाति धर्म के नाम पर, क्यों हो रहा बवाल ।।
सेक्यूलर के नाम पर, नेता किये प्रपंच ।
मां अरू मौसी मान कर, करते केवल लंच ।।
तड़प रहा है आज तो, संविधान का प्राण ।
पंथ जाति निरपेक्ष नही, नही राष्ट्र सम्मान ।।
संविधान इतना कठिन, समझ सके ना देश ।
श्याम वस्त्र में कैद कर, बना रखे परिवेश ।।
भेद भाव को छोड़ कर, एक रहे यह देश ।।
उनकी आत्मा आज तो, पूछे एक सवाल ।
जाति धर्म के नाम पर, क्यों हो रहा बवाल ।।
सेक्यूलर के नाम पर, नेता किये प्रपंच ।
मां अरू मौसी मान कर, करते केवल लंच ।।
तड़प रहा है आज तो, संविधान का प्राण ।
पंथ जाति निरपेक्ष नही, नही राष्ट्र सम्मान ।।
संविधान इतना कठिन, समझ सके ना देश ।
श्याम वस्त्र में कैद कर, बना रखे परिवेश ।।
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