‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

यही देश अभिमान है

आजादी का पर्व यह, सब पर्वो से है बड़ा ।
बलिदान के नींव पर, देश हमारा है खड़ा ।।

अंग्रेजो से जो लड़े, बांध शीष पर वह कफन ।
किये मजबूर छोड़ने, सह कर उनके हर दमन ।।

रहे लक्ष्य अंग्रेज तब, निकालना था देश से ।
अभी लक्ष्य अंग्रेजियत, निकालना दिल वेश से।

आजादी तो आपसे, सद्चरित्र है चाहता ।
छोड़ो भ्रष्टाचार को, विकास पथ यह काटता ।।

काम नही सरकार का, गढ़ना चरित्र देश में ।
खास आम को चाहिये, गढ़ना हर परिवेष में ।।

झूठे लगते लोग सब, जब भी लेते हैं शपथ ।
आय छुपाते सरकार से, चल पड़ते हैं वह कुपथ ।।

कौन देश द्रोही यहां, कौन देश का भक्त है ।
कृत्य देख उनके भला, किसको कहें सशक्त है ।।

पोषित करते कौन हैं, आतंक के हर बीज को ।
चिन्हांकित तो कीजिये, कौन सींचतेे खीझ को ।।

मरना मिटना देश पर, नही एक पहचान है ।
जीना केवल देश हित, यही देश अभिमान है ।।

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