‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

खाक करे है देह को

खाक करे है देह को, मन का एक तनाव ।
हँसना केवल औषधी, पार करे जो नाव ।।

फूहड़ता के हास्य से, मन में होते रोग ।
करें हास परिहास जब, ध्यान रखें सब लोग ।।

बातचीत सबसे करे, बनकर बरगद छाँव।
कोयल वाणी बोलिये, तजें कर्ककश काँव ।।

धान्य बड़ा संतोष का, जलन बड़ा है रोग ।
परहित सा सेवा नही, नहीं स्वार्थ सा भोग ।।

डोर प्रेम विश्वास का, सबल सदा तो होय ।
टूटे से जुड़ते नही, चाहे जोड़े कोय ।।

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