‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

प्रदूषण


प्रकृति और मानव में
मचा हुआ क्यों होड़ है

धरती अम्बर मातु-पिता बन
जब करते रखवारी
हाड़-मांस का यह पुतला तब
बनती देह हमारी

मानव मन में जन्म से
वायु-धूल का जोड़ है

मानव मस्तिष्क नवाचारी
नित नूतन पथ गढ़ता
अपनी सारी सोच वही फिर
गगन धरा पर मढ़ता

ऐसी सारी सोच की
अभी नही तो तोड़ है

माँ के आँचल दाग मले वह
शान दिखा कर झूठे
अपने मुख पर कालिख पाकर
पिता पुत्र पर टूटे

राह बदल ले पथिक अब
पथ में आया मोड़ है



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