‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

गणेशजी की आरती

जय गौरी नंदन, विघ्न निकंदन, जय प्रथम पूज्य, भगवंता ।
जय शिव के लाला, परम दयाला, सुर नर मुनि के, प्रिय कंता ।।

मध्य दिवस सुचिता, भादो पुनिता, शुक्ल चतुर्थी, शुभ बेला ।
प्रकटे गणनायक, मंगल दायक, आदि शक्ति के, बन लेला ।।

तब पिता महेशा, किये गणेशा, करके गजानन, इक दंता ।
जय गौरी नंदन, विघ्न निकंदन, जय प्रथम पूज्य, भगवंता ।।

रिद्धि सिद्धि द्वै, हाथ चवर लै, निशदिन करतीं, हैं सेवा ।
तुहरे शरण खड़े, जयकार करे, तैतीस कोटि, सब देवा ।।

प्रभु दर पर तेरे, शाम सबेरे, माथा टेके, सब संता ।
जय गौरी नंदन, विघ्न निकंदन, जय प्रथम पूज्य, भगवंता ।।

जय जय सुखकारी, जन हितकारी, मेरी नैय्या, हाथ धरें ।
सब भक्त पुकारे, तेरे द्वारे, सकल मनोरथ, पूर्ण करें ।।

?लेला-शिशु, बच्चा

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