‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

आज पर्व गणतंत्र का

आज पर्व गणतंत्र का, मना रहा है देश ।
लोक कहां है तंत्र में, दिखे नहीं परिवेश ।।
बना हुआ है स्वप्न वह, देखे थे जो आँख ।
जन मन की अभिलाष सब, दबा तंत्र के काख ।।
निर्धन निर्धन है बना, धनी हुये धनवान ।
हिस्सा है जो तंत्र का, वही बड़ा बलवान ।।
-रमेश चौहान

Blog Archive

Popular Posts

Categories