‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

तुम्हे शादी है करना

करना चाहे बाप जब, मना करे हैं पुत्र ।
समझ सके ना बाप वह, बेटे का यह सूत्र ।।
बेटे का यह सूत्र, अभी करूंगा ना शादी ।
खड़ा नहीं हूॅं पैर, बात समझें बुनियादी ।।
मन में रख संतोष,  बात बेटा तू धर ना ।
आयु हुआ अब तीस, तुम्हे शादी है करना।।
-रमेश चौहान

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