‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

राष्ट्र धर्म (दोहे)

साथ खड़े जो शत्रु के, होते नहीं अजीज ।
शत्रु वतन के जो दिखे, उनके फाड़ कमीज ।।

राष्ट्रद्रोह के ज्वर से दहक रहा है देश 
सुख खोजे निजधर्म में राष्ट्र धर्म में क्लेष ।।

प्रेम प्रेम ही चाहता, कटुता चाहे बैर ।
प्रेम प्रेम ही बाँटकर, देव मनावे खैर ।

अभिव्यक्ति के नाम पर, राष्ट्रद्रोह क्यों मान्य 
सहिष्णुता छल सा लगे, चुप हो जब गणमान्य ।।

तुला धर्म निरपेक्ष का, भेद करे ना धर्म ।
अ, ब, स, द केवल वर्ण है, शब्द भाव का कर्म ।

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