‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कूड़े करकट सम मैं पड़ा


मैं बिकने को तत्पर खड़ा । केवल प्रेम मोल पर अड़ा
ऐसे क्रेता कोई नही । जिनके बाहर अंदर सही

कोई तो मीठे बोल से । कोई अपने चषचोल से
अपने वश कर ले जो मुझे । एक न ऐसे साथी सुझे

एक मुखौटा मुख पर ढके । मुझे शिकारी जैसे तके
मेरे बढ़ते हर पाद को । सह न सके कुछ आस्वाद को

कैसे झूलूँ उनके बाँह में । कैसे दौडूँ उनके राह में
मोल रहित हो मैं तो खड़ा । कूड़े करकट सम मैं पड़ा

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