‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मैं बच्चों का बाप

है बच्चों का लालन-पालन, कानूनी  कर्तव्य ।
पर कानूनी  अधिकार नही, देवें निज मंतव्य ।।

पाल-पोष कर मैं बड़ा करूं, हूँ बच्चों का बाप ।
मेरे मन का वह कुछ न करे,  है कानूनी श्राप  ।।

जन्म पूर्व ही बच्चों  का मैं, देखा था जो स्वप्न ।
नैतिकता  पर कानून बड़ा, रखा इसे अस्वप्न ।।

दशरथ  के संकेत  समझ तब, राम गये वनवास 
अगर आज दशरथ  होते जग, रहते कारावास ।।

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