‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

नामी कामी संत

गुंडा को भाई कहे, पाखण्ड़ी को संत ।
करे पंथ के नाम पर, मानवता का अंत ।।
मानवता का अंत, करे होकर उन्मादी ।
नामी कामी संत, हुये भाई सा बादी ।।
अंधभक्त जब साथ, रहे होकर के मुंडा ।
पाखण्ड़ी वह संत, बने ना कैसे गुंडा ।।

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