‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

भौतिक युग

भौतिक युग विस्तार में, नातों का दुश्काल ।
माँ सुत के पथ जोहती, हुई आज कंकाल ।।
हुई आज कंकाल, हमारी संस्कृति प्यारी ।
अर्थ तंत्र का अर्थ, हुये जब सब पर भारी ।।
सुन लो कहे ‘रमेश‘, सोच यह केवल पौतिक ।
तोड़ रहे परिवार,  फाँस बनकर युग भौतिक ।।
(पौतिक-सड़ांध युक्त घाव)

Blog Archive

Popular Posts

Categories