‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

शिक्षा तंत्र पर दोहे

शिक्षाविद अरु सरकार से, चाही एक जवाब ।
गढ़े निठ्ठले लोग क्यो, शिक्षा तंत्र जनाब ।।

रोजगार गारंटी देते, श्रमिकों को सरकार ।
काम देश में मांग रहे अब, पढ़े लिखे बेगार ।

बेगारी की बात पर, विचार करे समाज ।
पढ़े लिखे ही लोग क्यों, बेबस लगते आज ।।

अक्षर पर निर्भर नहीं, जग का कोई ज्ञान ।
अक्षर साधन मात्र है, लक्ष्य ज्ञान को जान ।।

विद्या शिक्षा में भेद है, जैसे आत्मा देह ।
देह दृश्य हर आँख पर, आत्मा रहे विदेह ।।

कार्यकुशलता मूल में, ऐसा शिक्षा तंत्र ।
बेगारी की है दवा, निश्चित जाने मंत्र ।।

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