सौंधी सौंधी मिट्टी महके
चीं-चीं चिड़िया अम्बर चहके ।
चीं-चीं चिड़िया अम्बर चहके ।
ऊँची कोठी एक न दिखते
पगडंडी पर कोल न लिखते
है अमराई ताल तलैया,
गोता खातीं जिसमें अहके ।
पगडंडी पर कोल न लिखते
है अमराई ताल तलैया,
गोता खातीं जिसमें अहके ।
शोर शराबा जहां नही है
बतरावनि ही एक सही है
चाचा-चाची भइया-भाभी
केवल नातेदारी गमके ।
बतरावनि ही एक सही है
चाचा-चाची भइया-भाभी
केवल नातेदारी गमके ।
सुन-सुन कर यह गाथा
झूका रहे नवाचर माथा
चाहे कहे हमें देहाती
पर देख हमें वो तो जहके ।
झूका रहे नवाचर माथा
चाहे कहे हमें देहाती
पर देख हमें वो तो जहके ।
-रमेश चौहान