‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

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दीवाली के चित्र

छन्न पकैया छन्न पकैया, बात बताऊं कैसे ।
दीवाली में हमको भैया, चित्र दिखे हैं जैसे ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, बेटा पूछे माॅं से ।
कहते किसको उत्सव मैया, हमें बता दो जाॅं से ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, उनके घर रोशन क्यों ।
रह रह कर तो आभा दमके, चमक रहे बिजली ज्यों ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथ माथ पर धर कर ।
सोच रही थी भोली-भाली, क्या उत्तर दूं तन कर ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, आनंद भरे मन में ।
उत्सव उसको कहते बेटा, जो सुख लाये तन में ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथ पकड़ वह बोली ।
देखो चांदनी दिखे नभ पर, जैसे तेरी टोली ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, बेटा ये मन भाये ।
तेरे मेरे निश्चल मन में, ये आनंद जगाये ।
छन्न पकैया छन्न पकैया, ढूंढ रहे वे जाये ।
नहीं चांदनी उनके नभ पर, जो उनको हर्षाये।।
-रमेश चौहान

काले धन का हल्ला

छन्न पकैया छन्न पकैया, काले धन का हल्ला ।
चोरों के सरदारों ने जो, भरा स्वीस का गल्ला ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कौन जीत अब लाये ।
चोर चोर मौसेरे भाई, किसको चोर बताये ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सपना बहुत दिखाये ।
दिन आयेंगे अच्छे कह कह, हमको तो भरमाये ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, धन का लालच छोड़ो ।
होते चार बाट चोरी धन, इससे मुख तुम मोड़ो ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, काले गोरे परखो ।
कालों को दो काला पानी, बात बना मत टरको ।।  टरकना-मौका से हटना
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मौलिक अप्रकाशित

होली गीत (छन्न पकैया छंद)

छन्न पकैया छन्न पकैया, मना रहें सब होरी ।
अति प्यारी सबको लागे है, राधा कृष्णा जोरी ।।1।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कहे श्याम रास किये ।
 ब्रज नार राधा संग नाचे,  अति पावन प्रेम लिये ।।2।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्यो कुछ रिति है खोटी ।
मदिरा भंग से तंग करते, पहचान लगे  मोटी ।।3।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कीचड़ मुख मलते वह ।
गाली भी क्यों देते ऐसे, मन मारे रहते सह ।।4।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, काम रहित प्रेम धरें ।
मानव हो मानव से साथी,  मानवीय प्रेम करें ।।5।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, आप को बधाईंया ।
माथ स्नेह गुलाल तिलक करूं, करत ताता थईया ।।6।।

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